Bazar ka ye haal hai - Shail Chaturvedi (शैल चतुर्वेदी)

A satire on increasing prices, this humourous poem is sure to tickle your funny bone.

Watch the video to get a feel of the excellence of poet!


Shail chaturvedi projects the experiences of a common man in the times of rising prices. The poem, although written years back, still carries an air of freshness and excellence which is rare to find these days.

Lyrics

बाज़ार का ये हाल है

कि ग्राहक पीला

और दुकानदार लाल है

दूध वाला कहता है-

दूध में पानी क्यों है

गाय से पूछो।

गाय कहेगी-

पानी पी रहीं हूँ

तो पानी दूंगी

दूध वाला मेरे प्राण ले रहा है

मैं तुम्हारे लूंगी।



कपड़े वाला कहता है-

जिस भाव में आया है

उस भाव में कैसे दें

आपको हंड्रेड परसेंट आदमी बनाने का

आपसे फ़िफ्टी परसेंट भी नहीं लें।



धोबी कहता है-

राम ने धोबी के कहने से सीता को छोड़ दिया

आप एक कमीज़ नहीं छोड़ सकते?

सौ रुपल्ली की कमीज़ भट्टी खा गई

तो आप तिलमिला रहें हैं

इस देश में लोग ईमान को भट्टी में झोंककर

सारे देश को खा रहें हैं।



मक्खन वाला कहता है-

बाबूजी ये मक्खन है

खाने के नहीं, लगाने के काम में आता है

इसका इस्तेमाल त्रेता युग में विभीषण ने, द्वापर में पांडवों ने किया था

आज भी सैंकड़ों कर रहे हैं,

और जो नहीं कर पाए वो हंस होकर भी घास चार रहे हैं|



चोर कहता है-

मुनाफ़ाख़ोर मुनाफ़ा खा रहें हैं

तो हम भी तिज़ोरियाँ तोड़-तोड़ कर

अधिकार और कर्तव्य को एक साथ निभा रहें हैं

किसी भी तिज़ोरी में झाँक कर देखिए

आत्मा हिल जाएगी

किसी न किसी कोने में पड़ी

लोकतंत्र की लाश मिल जाएगी।



फ़ल वाला कहता है -

गीता में भगवान कृष्ण ने कहा है

कर्म करो और फल मुझ पर छोड़ दो|

हम दोनों ने अपना अपना कर्म किया

मैंने दिया और आपने लिया

अब फल अच्छा निकले या खराब

ये तो हरि इच्छा है जनाब|



किताबवाला वाला कहता है -

क्या कहा? प्रेमचंद का गोदान ?

ये किताबों की दूकान है

किसी गौशाला में जाइये श्रीमान |

यह नाम तो हमने पहली बार सुना है,

आपने भी कौन सा उपन्यास चुना है,

हम तो प्रेमकथायें बेचकर बूढ़ों को जवान कर रहे हैं

मामूली दुकानदार हैं, लेकिन राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण कर रहे हैं|



पाकिटमार कहता है-

लोग दस-दस साल का इंकमटैक्स मारकर भी वफ़ादार हैं

हमने दस-पाँच रुपए मार दिए

तो पाकिटमार है

उन्हें फ़ौज़ की सलामी

हमें थानेदार का जूता

उनको बंगला, हमको जेल

बाबूजी, इसी को कहते हैं

छछूंदर के सर में चमेली का तेल।



डॉक्टर कहता है-

सोलह रुपये फीस सुनते ही

चेहरा उतर गया

जिस देश में पानी पैसे से मिलता है

वहाँ लोगों को

दवा जैसी चीज़ फोकट में चाहिए

आप जैसों के लिए सरकारी अस्पताल ही बेहतर है

जाइए, वहीं धक्के खाइए।



घी वाला कहता है-

घी खाने का शौक़ है

तो डालडा ले जाइए

हमारे देश के औद्योगिक विकास का नमूना है

खाएंगे, तो हाथी की तरह फूल जाएंगे

घी तो घी, रोटी खाना भूल जाएंगे।



कैलेंडर वाला कहता है-

लोग समाजवाद को सड़कों पर ढूंढ रहें हैं

और समाजवाद हमारी दूकान में बंद है

एक बंडल खोलिए, दर्शन हो जाएँगे

भक्त और भगवान, भीखारी और धनवान

यहाँ तक कि नेता और इंसान

सबको एक ही बंडल में पाएंगे।



बिजली वाला कहता है-

क्या कहा बिजली गोल है

भाई साहब, हमारे डिपार्ट्मेंट का आधार ही पोल है।



विद्यार्थी कहता है-

आप हमसे छह सवाल

तीन घंटे में करने को कहते हैं

गुरु जी! ये वो देश है

जहाँ एक हस्ताक्षर करने में चौबीस घंटे लगते हैं।

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