Bharat Ek Khoj -- Srishtee Se Pehle

स्रिष्टी से पहले सत् नहीं था, असत् भी नहीं
अंतरिक्ष भी नहीं, आकाश भी नहीं था
छिपा था क्या, कहाँ, किसने ढ़का था
उस पल तो अगम अटल जल भी कहाँ था

स्रिष्टी का कौन है कर्त्ता
कर्त्ता हैं वा अकर्त्ता
ऊँचे आकाश में रहता
सदा अदर्ष्ट बना रहता
वही सचमुच में जानता, या नहीं भी जानता
है किसी को नहीं पता
नहीं पता, नहीं है पता

Part - II

वह था हिरण्यगर्भ, स्रिष्टी से पहले विद्यमान
वही तो सारे भूत-जात का स्वामी महान्
जो है अस्त्तिवमान धरती आसमान धारण कर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम अविदेहकर

जिस के बल पर तेजोमेय है अंबर
प्रथ्वी हरी भरी स्थापित स्थिर
स्वर्ग और सूरज भी स्थिर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम अविदेहकर

गर्भ में अपने अग्नि धारण कर, पैदा कर
व्यापा था जल, इधर उधर निचे उपर
जगा चुके वो कायेक-मेव प्राण बनकर
ऐसे किस देवता की उपासना करें हम अविदेहकर

ॐ, स्रिष्टी निर्माता, स्वर्ग रचेता, पुर्वज रक्षा कर
सत्य धर्म पालक अतुल जल नियामक रक्षा कर
फैली हैं दिशाएं बाहों जैसी उसकी सब में सब पर
ऐसे ही देवता की उपासना करें हम अविदेहकर
ऐसे ही देवता की उपासना करें हम अविदेहकर

Category: hindi-poems

Comments

  • डॉ दिव्या वर्मा
    03 Aug 12

    इस कविता में अनेक वर्तिनी अशुधि है | कृपया इसे शुद्ध रूप में जाने |


    सृष्टि से पहले सत् नहीं था, असत् भी नहीं
    अंतरिक्ष भी नहीं, आकाश भी नहीं था
    छिपा था क्या, कहाँ, किसने ढ़का था
    उस पल तो अगम अटल जल भी कहाँ था
    सृष्टि का कौन है कर्त्ता
    कर्त्ता हैं वा अकर्त्ता
    ऊँचे आकाश में रहता
    सदा अदृष्ट बना रहता
    वही सचमुच में जानता, या नहीं भी जानता
    है किसी को नहीं पता
    नहीं पता, नहीं है पता
    Part - II
    वह था हिरण्यगर्भ, सृष्टि से पहले विद्यमान
    वही तो सारे भूत-जात का स्वामी महान्
    जो है अस्त्तिवमान धरती आसमान धारण कर
    ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हविदेकर
    जिस के बल पर तेजोमेय है अंबर
    -पृथ्वी हरी भरी स्थापित स्थिर
    स्वर्ग और सूरज भी स्थिर
    ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हविदेकर
    गर्भ में अपने अग्नि धारण कर, पैदा कर
    व्यापा था जल, इधर उधर नीचे उपर
    जगा चुके वो कायेक-मेव प्राण बनकर
    ऐसे किस देवता की उपासना करें हम हविदेकर
    ॐ, सृष्टि निर्माता, स्वर्ग रचेता, पूर्वज रक्षा कर
    सत्य धर्म पालक अतुल जल नियामक रक्षा कर
    फैली हैं दिशाएं बाहों जैसी उसकी सब में सब पर
    ऐसे ही देवता की उपासना करें हम हविदेकर
    ऐसे ही देवता की उपासना करें हम हविदेकर
  • डॉ दिव्या वर्मा
    03 Aug 12
    यहाँ डी गयी कविता में प्रयुक्त शब्द (अविदेहकर ) गलत है | इसका सही शब्द प्रयोग है -
    ऐसे किसी देवता की उपासना करे हम हवि देकर
    धन्यवाद
  • Shashank
    05 Mar 09
    I have faded memories of the time when I was 5 years old and we didn't have a television. I used to watch this at a neighbor's house. I have been trying to look for this all over the internet and have spent days on p2p and torrents. I am grateful to you for this amazing collection and specially this wonderful piece. I appreciate the hardwork and wish you all the best.
  • Swapnil Pable
    09 Mar 11
    Hi Shashank,

    I saw the complete set of episodes of Bhart ek Khoj in an outlet of Crossword in Pune.

    They must be having it other stores as well. You check them out...
  • anshul
    30 May 07
    Marvellous.

    if u could get the titles used in TV serial Chankya by Dr Dwivedi it would be more wonderful.