देश को विद्युत संकट से उबारने का स्वप्रेरित उपाय

देश को विद्युत संकट से उबारने का स्वप्रेरित उपाय

सर्वमान्य/सर्वोच्च पदाधिकारी गण, लोकप्रिय व्यक्ति गण, एवम प्रिय पाठकों

जैसा कि आप सब लोग जानते हैं कि इस समय पूरा देश भारी बिजली संकट के दौर से गुज़र रहा है| नॉर्दन एवं साऊथ विद्युत ग्रिडों में कमी के चलते दिल्ली जैसे महानगर में भी चार घंटे की विद्युत कटौती हो रही है तथा अन्य प्रदेशों में भी बिजली के हालात अच्छे नहीं हैं। सरकार, हालाँकि, अपनी तरफ से कई योजनाओं को सफलतापूर्वक लागू करने में लगी है परन्तु देश में बिजली की बढती खपत के चलते विद्युत संकट टलने के फिलहाल कोई आसार नहीं दिख रहे|

ऐसे में मैं आप सब से ये निवेदन करना चाहता हूँ कि सभी लोग देश के प्रति अपना कर्त्तव्य समझते हुए बिजली संकट को कम करने के लिए एक छोटा सा कदम उठायें | सभी लोग अपनी सुविधा अनुसार चौबीस घंटे में से आधे घंटे का समय विद्युत कटौती के लिए निर्धारित कर लें | इस आधे घंटे को कुछ उपयोगी कामों के लिए पूर्व नियोजित भी किया जा सकता है (उदहारण - बच्चों को पढाना, पार्क में टहलना, इत्यादि ) | अगर देश का हर परिवार स्वेच्छा से अपने कार्य स्थल अथवा घर पर रोज आधा घंटे की विद्युत कटौती करे तो देश को विद्युत संकट से उबारने में, गांवों व खेतखलिहानों को कुछ अतिरिक्त विद्युत प्रदान करने में, तथा महीनों नियमित लम्बी विद्युत कटौती से कुछ हद तक छुटकारा पाने में सहायता मिलेगी।

यह तभी संभव होगा जब देश का कोई सर्वमान्य/सर्वोच्च पदाधिकारी या कोई जनप्रिय व्यक्ति स्वयं स्वेच्छा से अपने कार्य स्थल अथवा घर पर रोज आधा घंटे की विद्युत कटौती करे जैसा की पूर्व प्रधानमंत्री माननीय श्री शास्त्रीजी जी ने 1965-66 देश को अन्न संकट से उबारने के लिए देश की जनता को सोमवार की शाम को भोजन न करने का आह्वान किया था। उस समय न केवल संपूर्ण राष्ट्र ने इस संदेश का पालन किया था बल्कि छोटे बडे होटलों में सोमवार की शाम को भोजन उपलब्ध नही होता था।

यह अनुरोध आप से इसलिए कर सका हूँ कि मैं स्वयं स्वेच्छा से अपने कार्य स्थल/ घर पर रोज आधा घंटे रात 8.30-9.00 बजे तक की विद्युत कटौती 01 अप्रेल 2012 से नियमित कर रहा हूँ । मैं सीनियर फिजिशियन (मधुमेह व ह्रदय रोग परामर्षक) हूँ तथा जोधपुर में अपनी पत्नी डा. श्रीमती सुशील गुप्ता (वरिष्ठ अधिवक्ता, राज. हाई कोर्ट जोधपुर) व धोरीमन्ना, बाडमेर के एक गांव के लडके के साथ (जो राज. रेजीडेंसी स्कूल जोध. में 9वीं कक्षा का नियमित छात्र है) रहता हूँ। इस आधा घंटे का उपयोग हम इस बच्चे को नियमित कैन्डल की रौशनी में पढा कर करते हैं ।

डा. जी. एल. गुप्ता
जोधपुर, राजस्थान

Comments

  • Satya Prakash Bhardwaj
    19 Apr 13
    बहुत ही सराह्निये कार्य है आपका .ऐसी सोच हरेक हिंदुस्तान के लोगो में हो तो हमारा देश बहुत ही विकास कर सकता है |
    बहुत बहुत धन्यवाद |