Arya by Maithili Sharan Gupt

आर्य
- मैथिलीशरण गुप्त (Maithili Sharan Gupt)

हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी
आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी

भू लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहां
फैला मनोहर गिरि हिमालय, और गंगाजल कहां
संपूर्ण देशों से अधिक, किस देश का उत्कर्ष है
उसका कि जो ऋषि भूमि है, वह कौन, भारतवर्ष है

यह पुण्य भूमि प्रसिद्घ है, इसके निवासी आर्य हैं
विद्या कला कौशल्य सबके, जो प्रथम आचार्य हैं
संतान उनकी आज यद्यपि, हम अधोगति में पड़े
पर चिन्ह उनकी उच्चता के, आज भी कुछ हैं खड़े

वे आर्य ही थे जो कभी, अपने लिये जीते न थे
वे स्वार्थ रत हो मोह की, मदिरा कभी पीते न थे
वे मंदिनी तल में, सुकृति के बीज बोते थे सदा
परदुःख देख दयालुता से, द्रवित होते थे सदा

संसार के उपकार हित, जब जन्म लेते थे सभी
निश्चेष्ट हो कर किस तरह से, बैठ सकते थे कभी
फैला यहीं से ज्ञान का, आलोक सब संसार में
जागी यहीं थी, जग रही जो ज्योति अब संसार में

वे मोह बंधन मुक्त थे, स्वच्छंद थे स्वाधीन थे
सम्पूर्ण सुख संयुक्त थे, वे शांति शिखरासीन थे
मन से, वचन से, कर्म से, वे प्रभु भजन में लीन थे
विख्यात ब्रह्मानंद नद के, वे मनोहर मीन थे

Category: hindi-poems

Comments

  • mandeep gahlot
    04 Jun 13
    best poem ever
  • sandhya
    22 Oct 11
    can somebody give me a good translation for this poem?
  • Deepak - tuubol.com
    09 Aug 09
    आपका बहुत बहुत धन्यवाद् जो आपने हिंदी कविता के शौकीन लोगों के लिए देवनागरी लिपि में लिखी कविताओं को उपलब्ध कराया .
  • nitu
    08 Jan 08
    Thank you for making poetry accessible to hundreds of fans
  • Anonymous
    16 Jul 09
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  • Kirti
    07 Sep 07
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  • देबाशीष
    13 Jun 06
    आपका यह शायद पहला द्रुपल इंस्टॉल है जो हिन्दी ब्लॉग के लिये प्रयुक्त हुआ है। बधाई!
  • Harshani
    18 Dec 07
    Hi am Harshani!Fnx a lot. I really njoyd dis page. So b like me njoy u 2 as wel n of corz, keep it up. .!!!