Suraj Ko Nahi Doobne Doonga

सूरज को नही डूबने दूंगा
- सर्वेश्वरदयाल सक्सेना (Sarveshwar Dayal Saxena)

अब मै सूरज को नही डूबने दूंगा
देखो मैने कंधे चौडे कर लिये हैं
मुट्ठियाँ मजबूत कर ली हैं
और ढलान पर एडियाँ जमाकर
खडा होना मैने सीख लिया है

घबराओ मत
मै क्षितिज पर जा रहा हूँ
सूरज ठीक जब पहाडी से लुढकने लगेगा
मै कंधे अडा दूंगा
देखना वह वहीं ठहरा होगा
अब मै सूरज को नही डूबने दूंगा

मैने सुना है उसके रथ मे तुम हो
तुम्हे मै उतार लाना चाहता हूं
तुम जो स्वाधीनता की प्रतिमा हो
तुम जो साहस की मुर्ति हो
तुम जो धरती का सुख हो
तुम जो कालातीत प्यार हो
तुम जो मेरी धमनी का प्रवाह हो
तुम जो मेरी चेतना का विस्तार हो
तुम्हे मै उस रथ से उतार लाना चाहता हूं

रथ के घोडे
आग उगलते रहें
अब पहिये टस से मस नही होंगे
मैने अपने कंधे चौडे कर लिये है।

कौन रोकेगा तुम्हें
मैने धरती बडी कर ली है
अन्न की सुनहरी बालियों से
मै तुम्हे सजाऊँगा
मैने सीना खोल लिया है
प्यार के गीतो मे मै तुम्हे गाऊंगा
मैने दृष्टि बडी कर ली है
हर आखों मे तुम्हे सपनों सा फहराऊंगा

सूरज जायेगा भी तो कहाँ
उसे यहीं रहना होगा
यहीं हमारी सांसों मे
हमारी रगों मे
हमारे संकल्पों मे
हमारे रतजगो मे
तुम उदास मत होओ
अब मै किसी भी सूरज को
नही डूबने दूंगा

Category: hindi-poems

Comments

  • Anonymous
    02 Jan 13
    good strong poem
  • arvindsingh
    16 Aug 12
    verry nice poem
  • Pranav Trivedi
    09 Aug 12
    Fabulous...... truly motivating
  • Dev
    09 Aug 12
    Bahut badhiya, shash aur urja dene wali kavita likhi hei kavi ne.
  • Daman
    04 Nov 11
    Mindblowing imagination.......don't have words for the imagination and creativity shown in this poem.
  • Daya Shankar
    30 Jul 11
    बहुत साह्सिक कविता है, धन्यवाद
  • Somesh dahiya
    15 Aug 11
    Its very good and beautiful poem..he is my fav. poet..
    thanks to put this poem here..
  • a lost soul
    20 Jun 10
    Beautiful....thanks for sharing!
  • Anonymous
    27 Aug 10
    wah ...jaha na pahoche ravi vaha pahoche kavi......
  • Surendra k Verma
    24 Jan 10
    यह बहुत ही बेहतरीन कविता है। इस कविता में कवि के साहस को सलाम करता हूं। यह कविता एक तरह से प्रेरणादायी भी है।
    सुरेन्द्र कुमार वर्मा
  • pankaj sehgal
    05 Oct 09
    this is the beautiful poem i ever read. it is the on which we should walk, it is the commitment which we should make to our ambitions. excellent. thanks mujhme chetna jagane ke liye.
  • Anonymous
    26 Nov 09
    thanks for putting it here...i recall, it was there in our hindi text book when i was in 11th std.