Tumhare Saath Rehkar

तुम्हारे साथ रहकर
- सर्वेश्वरदयाल सक्सेना (Sarveshwar Dayal Saxena)

तुम्हारे साथ रहकर
अक्सर मुझे ऐसा महसूस हुआ है
कि दिशाएँ पास आ गयी हैं,
हर रास्ता छोटा हो गया है,
दुनिया सिमटकर
एक आँगन-सी बन गयी है
जो खचाखच भरा है,
कहीं भी एकान्त नहीं
न बाहर, न भीतर।

हर चीज़ का आकार घट गया है,
पेड़ इतने छोटे हो गये हैं
कि मैं उनके शीश पर हाथ रख
आशीष दे सकता हूँ,
आकाश छाती से टकराता है,
मैं जब चाहूँ बादलों में मुँह छिपा सकता हूँ।

तुम्हारे साथ रहकर
अक्सर मुझे महसूस हुआ है
कि हर बात का एक मतलब होता है,
यहाँ तक की घास के हिलने का भी,
हवा का खिड़की से आने का,
और धूप का दीवार पर
चढ़कर चले जाने का।

तुम्हारे साथ रहकर
अक्सर मुझे लगा है
कि हम असमर्थताओं से नहीं
सम्भावनाओं से घिरे हैं,
हर दिवार में द्वार बन सकता है
और हर द्वार से पूरा का पूरा
पहाड़ गुज़र सकता है।

शक्ति अगर सीमित है
तो हर चीज़ अशक्त भी है,
भुजाएँ अगर छोटी हैं,
तो सागर भी सिमटा हुआ है,
सामर्थ्य केवल इच्छा का दूसरा नाम है,
जीवन और मृत्यु के बीच जो भूमि है
वह नियति की नहीं मेरी है।

Category: hindi-poems

Comments

  • Kalyani
    06 Sep 13
    सरवेशवर जी, बहुत ही अछूत कविता है।
  • Puran Bodh
    29 Aug 12

    यह कविता एक ऐसी जदूई सुंदरता से परिपूर्ण है कि मैं इसे पढ़ते समय इसके सहज प्रवाह का अभिन्न अंग बन जाता हूँ. एक दशक पहले कई बार पढ़ने के बाद, आज जब सर्वेश दयाल सक्सेना नाम पढ़ा तो मन में उन शब्दों की सरसराहट महसूस हूई; और फिर बह निकला इन के साथ.
  • Vijay Ratna Shakya
    03 Dec 11
    Bohat hi pyari aur sundar kavita,
  • Vipul
    09 Sep 11
    Aseem Bhawaatmak,
    Ye kavita sambhawnao ko ek pratibimb hai, jo sath sath uske aseem aur anant hone ka parichayak bhi hai. सर्वेश्वरदयाल सक्सेना ji ne kinte saral roop se kinti mahaan bhaav ka sajeev chitran kiya hai.

    Aise kavi apni kavita ke sath hamesha amar rahte hain. bahut bahut dhanyawaad.
  • Pankaj
    17 Jun 09
    Ultimate Lines, Especially this one
    सामर्थ्य केवल इच्छा का दूसरा नाम है !