Khoob Ladi Murdani Voh To Jhansi Wali Rani Thi

खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी
- Subhadra Kumari Chauhan

सिंहासन हिल उठे राजवंशों ने भृकुटी तानी थी
बूढ़े भारत में आई फिर से नयी जवानी थी
गुमी हुई आज़ादी की कीमत सबने पहचानी थी
दूर फिरंगी को करने की सबने मन में ठानी थी

चमक उठी सन सत्तावन में, वह तलवार पुरानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

कानपूर के नाना की, मुँहबोली बहन छबीली थी
लक्ष्मीबाई नाम, पिता की वह संतान अकेली थी
नाना के सँग पढ़ती थी वह, नाना के सँग खेली थी
बरछी ढाल, कृपाण, कटारी उसकी यही सहेली थी

वीर शिवाजी की गाथायें उसकी याद ज़बानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

लक्ष्मी थी या दुर्गा थी, वह स्वयं वीरता की अवतार
देख मराठे पुलकित होते उसकी तलवारों के वार
नकली युद्ध व्यूह की रचना और खेलना खूब शिकार
सैन्य घेरना, दुर्ग तोड़ना ये थे उसके प्रिय खिलवाड़

महाराष्टर कुल देवी उसकी भी आराध्य भवानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

हुई वीरता की वैभव के साथ सगाई झांसी में
ब्याह हुआ रानी बन आयी लक्ष्मीबाई झांसी में
राजमहल में बजी बधाई खुशियाँ छायी झांसी में
सुघट बुंदेलों की विरुदावलि सी वह आयी झांसी में

चित्रा ने अर्जुन को पाया, शिव से मिली भवानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

उदित हुआ सौभाग्य, मुदित महलों में उजयाली छायी
किंतु कालगति चुपके चुपके काली घटा घेर लायी
तीर चलाने वाले कर में उसे चूड़ियाँ कब भायी
रानी विधवा हुई, हाय विधि को भी नहीं दया आयी

निसंतान मरे राजाजी रानी शोक समानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

बुझा दीप झाँसी का तब डलहौज़ी मन में हर्षाया
राज्य हड़प करने का उसने यह अच्छा अवसर पाया
फ़ौरन फौजें भेज दुर्ग पर अपना झंडा फहराया
लावारिस का वारिस बनकर ब्रिटिश राज्य झांसी आया

अश्रुपूर्ण रानी ने देखा झांसी हुई बिरानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

अनुनय विनय नहीं सुनती है, विकट फिरंगी की माया
व्यापारी बन दया चाहता था जब यह भारत आया
डलहौज़ी ने पैर पसारे, अब तो पलट गई काया
राजाओं नव्वाबों को भी उसने पैरों ठुकराया

रानी दासी बनी, बनी यह दासी अब महरानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

छिनी राजधानी दिल्ली की, लखनऊ छीना बातों बात
कैद पेशवा था बिठुर में, हुआ नागपुर का भी घात
उदैपुर, तंजौर, सतारा, कर्नाटक की कौन बिसात?
जबकि सिंध, पंजाब ब्रह्म पर अभी हुआ था वज्र-निपात

बंगाले, मद्रास आदि की भी तो वही कहानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

रानी रोयीं रनवासों में, बेगम ग़म से थीं बेज़ार
उनके गहने कपड़े बिकते थे कलकत्ते के बाज़ार
सरे आम नीलाम छापते थे अंग्रेज़ों के अखबार
नागपूर के ज़ेवर ले लो लखनऊ के लो नौलख हार

यों परदे की इज़्ज़त परदेशी के हाथ बिकानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

कुटियों में भी विषम वेदना, महलों में आहत अपमान
वीर सैनिकों के मन में था अपने पुरखों का अभिमान
नाना धुंधूपंत पेशवा जुटा रहा था सब सामान
बहिन छबीली ने रण चण्डी का कर दिया प्रकट आहवान

हुआ यज्ञ प्रारम्भ उन्हें तो सोई ज्योति जगानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

महलों ने दी आग, झोंपड़ी ने ज्वाला सुलगाई थी
यह स्वतंत्रता की चिन्गारी अंतरतम से आई थी
झांसी चेती, दिल्ली चेती, लखनऊ लपटें छाई थी
मेरठ, कानपूर, पटना ने भारी धूम मचाई थी

जबलपूर, कोल्हापूर में भी कुछ हलचल उकसानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

इस स्वतंत्रता महायज्ञ में कई वीरवर आए काम
नाना धुंधूपंत, ताँतिया, चतुर अज़ीमुल्ला सरनाम
अहमदशाह मौलवी, ठाकुर कुँवरसिंह सैनिक अभिराम
भारत के इतिहास गगन में अमर रहेंगे जिनके नाम

लेकिन आज जुर्म कहलाती उनकी जो कुरबानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

इनकी गाथा छोड़, चले हम झाँसी के मैदानों में
जहाँ खड़ी है लक्ष्मीबाई मर्द बनी मर्दानों में
लेफ्टिनेंट वाकर आ पहुँचा, आगे बड़ा जवानों में
रानी ने तलवार खींच ली, हुया द्वन्द्ध असमानों में

ज़ख्मी होकर वाकर भागा, उसे अजब हैरानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

रानी बढ़ी कालपी आयी, कर सौ मील निरंतर पार
घोड़ा थक कर गिरा भूमि पर गया स्वर्ग तत्काल सिधार
यमुना तट पर अंग्रेज़ों ने फिर खायी रानी से हार
विजयी रानी आगे चल दी, किया ग्वालियर पर अधिकार

अंग्रेज़ों के मित्र सिंधिया ने छोड़ी राजधानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी,
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

विजय मिली पर अंग्रेज़ों की, फिर सेना घिर आई थी
अबके जनरल स्मिथ सम्मुख था, उसने मुहँ की खाई थी
काना और मंदरा सखियाँ रानी के संग आई थी
युद्ध श्रेत्र में उन दोनों ने भारी मार मचाई थी

पर पीछे ह्यूरोज़ आ गया, हाय घिरी अब रानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

तो भी रानी मार काट कर चलती बनी सैन्य के पार
किन्तु सामने नाला आया, था वह संकट विषम अपार
घोड़ा अड़ा नया घोड़ा था, इतने में आ गये सवार
रानी एक शत्रु बहुतेरे, होने लगे वार पर वार

घायल होकर गिरी सिंहनी उसे वीरगति पानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

रानी गयी सिधार चिता अब उसकी दिव्य सवारी थी
मिला तेज से तेज, तेज की वह सच्ची अधिकारी थी
अभी उम्र कुल तेइस की थी, मनुष नहीं अवतारी थी
हमको जीवित करने आयी, बन स्वतंत्रता नारी थी

दिखा गई पथ, सिखा गई हमको जो सीख सिखानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

जाओ रानी याद रखेंगे हम कृतज्ञ भारतवासी
यह तेरा बलिदान जगायेगा स्वतंत्रता अविनाशी
होये चुप इतिहास, लगे सच्चाई को चाहे फाँसी
हो मदमाती विजय, मिटा दे गोलों से चाहे झांसी

तेरा स्मारक तू ही होगी, तू खुद अमिट निशानी थी
बुंदेले हरबोलों के मुँह हमने सुनी कहानी थी
खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी

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Comments

  • Rashmi
    16 Apr 13
    If I remember rightly, I had to learn this poem in my 8th standard. My brother and I always used to read this poem loudly with full zeal and enthusiasm as this was one of our favourite poems. Now also it remains the same. :)
  • ashwani
    06 Dec 12
    one of all time favorites poem of every generation. my daughter insisted to hear it as the version she heard in school was incomplete and at some places wrong. thanks for providing the original content.
  • Abhimanyu
    21 Aug 12
    jhansi ki rani- dead along with her son

    Tatya Tope- dead. his great grandiose are pulling hand carts in kolkata for a living.

    Scinthias (donno how the backstabbers spell their name) - still living in palaces, ruling as ministers (highly corrupt) and living luxurious lives. even though they helped the british raj in getting Rani Lakshmi Bai killed.

    what the hell is wrong with us?
  • radhika
    14 Aug 12
    read this poem after a long long time...first time after i left school....
    subhadra's words have really done justice to the sacrifices of the young
    queen....the words of the poetess jus had me break down :(
  • Anonymous
    19 May 12
    hats off
  • chary
    23 Jan 12
    long yar make it shorter i need it for my examssssssssss
  • Anonymous
    03 Jul 11
    u guys r vague...jus appreciate d damn poem n b happy......gwad....u do ya'll make ur life miserable by sayin dat others views r not correct! =_=///
  • 16 Jun 11
    nice poem
  • dikshit
    03 Jan 13
    i always read this it is totally real i am student of m.m.h.s class 9th
  • Jigish Parikh
    27 Apr 11
    Dear Shri Goyal ji,

    Many thanks for posting this. May u keep sharing such jewels with us.
  • mannu
    06 Apr 11
    jhansi ki rani is a great woman.I love jhansi Ki Rani.I watch every episode of jhansi Ki Rani on zee tv.
  • Anonymous
    25 Feb 11
    A really inspiring poem.The queen of Jhansi was undoubtedly a great human and a great woman.She is the epitome of women power in India.
  • Geeta
    08 Aug 10
    aise log hi Manu ko kah sakte hai ki woh apne liye ladi jo bahut hi giri aur choti soch wale ho . khud kuch kar nahi sakte aur doosro ka dum bhar nahi sakte. are tum jaise log us jamane mein hote to ho chuka tha desh azad. sharm se doob maro.
  • Anonymous
    19 Nov 10
    Bilkul sahi wo jis tarha se ladi us jasbe ko hamen izzat deni chahiye na ki us ke uddeshye main khamiyan nikalni chahiye.
    If Shivaji Maharaj can fight for Bharat as a whole then why couldn't The Great Lakshmi Bhai do that a very long time after him.
    I think that people should go and refresh their history and then comment.
  • VJ
    09 Jul 10
    The poem reminded me of my seventh grade in school' because that is when i read this poem in my Hindi book. Feels great and refreshing.
  • Anonymous
    13 Apr 11
    WHATS YOUR NAME MY NAME IS VARTIKA JOHRI VJ IN SHORT
  • hitesh
    10 Apr 10
    The people who themselves have not done anything for their own country say such a rubbish thing that she did not fight for country!! who is going to appreciate this comment. She fought against the evil, She fought for her Kingdom means she fought for the people of kingdom. And a person who thinks of others first rather than own is a real person. otherwise even a dog lives for himself. And the person who said such rubbish thing is not even comparable to dog
  • Amrendra Narayan
    12 Mar 08
    thanks for putting this peom, it motivates me like anything,
    I'd been looking for this peom for long, finally got it here.
    thanks a ton
  • Anonymous
    07 May 09
    she fought for HER kingdom, because britishers wanted to take it away from her. she did not fight for india's independence. unnecessarily she has been glorified!!!!!!
  • Anonymous
    04 Mar 13
    Dude, go brush up your history first...
  • anonymous
    06 Dec 12
    JHANSI KI RANI WAS GREAT ,IS GREAT&WILL ALWAYS B GREAT.IT'S JUST STUPID TO CALL HER MEAN.
  • Anonymous
    08 Apr 12
    अबे गधे, किंगडम बचाना ही तो स्वतंत्रता है। काले अंग्रेजोँ को कभी देश भक्त ठीक नहीँ लगेँगे। जय हिंद।
  • Anonymous
    13 Apr 11
    HOW YOU CAN TELL SHE DIDN'T FIGHT FOR HER KINGDOM SHE ALWAYS TELL INDIA SHOULD BE FREE FROM BRITISHERS
    AND IF SH FIGHT FOR HER KINGDOM BECAUSE JHANSI IS THE CENTER OF INDIA AND IF IT WOULD BE CAPTURED THEN WHOLE INDIA WOULD BE CAPTURED BY BRITISHERS AND AFTER THE WAR A STRONG FEELING OF GETTING FREEDOM BY BRITISHERS SPREAD.AND AT THAT TIME WHO KNOW GHANDHIJI WOULD BORN TO FREE US.SO DONOT TELL THIS IF YOU WANT TO REPLAY THAN..............
  • Anonymous
    18 Feb 11
    tere ma ki jai. vosdi k agar sab apne liye bhi ladte to ye desh kab ka azad ho jata.but tu saae gidhad k aulad h.
  • jyotsna
    28 Apr 13
    correct bola yaar. apni apni talwar utha lo, sena bante der nhi lagegi
  • Anonymous
    12 Apr 11
    AGAR WO APNE LIA FIGHT TO SWARTHI KHALATE COMMON I CHALLENGE AISA KAAM KAR JISSE TERA NAM SAB KO YAAD
    KABHI APNE BACCHO SE SK KI WHO APNE GREAT GREAT GRANDFATHER KA NAM JANTE H ARE TU JANTA H KYA PAR MAHARANI LAXMI BAI KA NAAM SAB JANTE H
  • Anonymous
    26 May 10
    HOW DARE YOU???It is just outrageous!!!!In 1850s it was not a united INDIA as it is today.For JHANSI KI RANI her kingdom was her country.You can just sit there and tell that she is unnecessarily glorified. If you where in her position Iam damn sure that you would comfortably sit in your house,not even daring to look out.You are not even fit to lick her feet.You should be ashamed of calling yourself an INDIAN
  • Anonymous
    12 Apr 11
    SHUT UP YOU FOOL A INDIAN LIKE YOU CAN NEVER SUCCEED YOU ARE TELLING THAT I CANNOT STEP OUT SAME AS YOU YOU ALSO CANNOT DO THIS
    YOU ARE RIGHT THAT INDIA WAS NOT UNITED BUT SHE DREAMED TO SAVE A WOMEN CANNOT THINK OF DOING THIS THAT SHE . YOU TELL ME IN THE AGE OF 5 YOU CAN LEARN WHAT SHE LEARNED NOW TEL ME YOU NOW HOW TO HOLD A SWORD TO POINT CORRECT POINT ON THE BORD WITH A BOW NO YOU CANNOT IF YOU AREA MEN THEN YOU DONT KNOW THE POWER OF A WOMEN A WOMEN NOW HAVE VALUE IN EVERY SPORT ONCE PERFORMED BY MEN AND BOYS IF NOW WE ARE GETTING THIS MUCH VALUE THEN THINK OF THAT TIME NOW PL Z REPLAY AND TELL WHO ARE YOU
  • Anonymous
    10 Feb 10
    fuck you dickhead!! if someone kidnaps your mom in front of you on gunpoint,you would pee your pants instead of protecting her. and here you are saying that jhansi ki rani jus fought for her kingdom and not india. people like you should die the moment you were born.
  • Anonymous
    13 Feb 10
    I think, the point made above is right ! she fought for her own kingdom - there was NO concept of ONE India till then , unfortunately.
  • Anonymous
    12 Apr 11
    VERY BAD
    YOU ARE TELLING THAT SHE FOUGHT FOR HER KINGDOM NOT FOR INDIA BECAUSE JHANSI WAS THE CENTER OF INDIA
    AND IF BRITISHERS CAPTURE IT THEN WHOLE INDIA WOULD BE CAPTURED BY THEM AND IF SHE DIED JHANSI NO
    BUT FOR WHOLE INDIA. INDIA A PLACE WHERE SO BIG FREEDOM FIGHTERS BORN AND FOR ONLY JHANSI SHE FOUGHT NO IF JHANSI WOULD BE CAPTURE THERE WOULD BE NO HOPE OF FREEDOM WHO KNOWS GHANDHI JI WOULD TAKE BIRTH FOR FREEDOM SHE LOVED HER JHANSI AND HINDUSTAN SHE ONLY TOLD TO FIGHT TOGETHER AND DIE TOGETHER SHE LOVED HER EARTH WHERE SHE AND ALL OF US TOOK BIRTH SHE LOVE HER INDIA OUR INDIA SO SHE FOUGHT OTHERWISE THERE WAS NO ANY REASON .SHE AND OTHER STRUGGLES WERE GREAT AND WHERE LOVED BY US SHE STARTED TO FIGHT AGAINST THESE BRITISHERS.
    BY VARTIKA
    CLASS VIII
    JAI HIND
    SHE DOSE SO MUCH FOR US NOW ITS TIME TO DO FOR HER
  • Rakesh Chandra
    18 May 10
    First of all, "India" is not our country. We are a part of "Bharat". The concept of country and nation is too narrow. Bharat and Hindu culture is not narrow minded like others. She fought for self respect of herself and all who were her well wishers.

    Every Bharateeya should be her well wisher and she is a real hero. If she wanted, should could join hands with britishers like others did to save their kindgom "licking shoes of britishers". But she did not do it.
  • Anonymous
    23 Sep 11
    are tu kaun hota hai ye kahne vala ki hame alag kar diya.indians have no unity .ye kahne se pehle tu mar nhi gaya.aur ye jo ladaiya hoti hai na unme se 25 percent paise k liye,1percent gharelu mamle.bla bla.but nearly 74 percent ladai to ye hindu,musalman,christian,etc me hoti hai.aur vo bhi aise cheej ko lekar jo hai hi nhi.that is ...... BHAGVAN or GOD.
  • sumeet
    18 Aug 09
    come on .........urs views are too narrow....... u may think or claim to be bold but actully you have limited thinking..... learn to appericiate others......
  • Anonymous
    26 Aug 07
    Each time i read the poem i cannot contain my emotions.Are we really doing justice to their sacrifices.
  • Anand
    06 Dec 07
    First of all.....we are no body to justice......secondly....heros are not born..they are made..made by the circumtances they face ..the decision they take...thirdly......there is nothing like permanent here.....everything has do fade one day....conclusion is....there are other freedom fighters also who just died without glory without fame so now we do not even know they existed....strange and weird rite.....but there would be millions of people who just died without glory.....because its not the glory they wanted....think about it....they were fighters..........now you sitting in AC room borm after around 250 years claiming whether we are doing justice or not not remembering them...........i would say..........do something productive instead of wasting time on these trivial things......do something good for your society and ur planet.......!!!!
  • shailesh
    23 Jul 13
    just shut your mouth up if you cant understand the value of their sacrifice. people like you only are called "kritghna" , who never ever oblige to good of other
  • Anonymous
    06 Nov 11
    no doubt whatsoever u said is like the words of maharaj harishchandra at all not joking but each and every person donnt have the same thing so first and formost such deeds need popularity and that fire of nationalism must be awaken in each person . when a person toches it's countri's soil he must feel like he is touching his mother's skin .tan it can work out and the poem is mindblowing no words to express!!!!!!!!!!!!!!
  • Anonymous
    25 Dec 07
    everone says do somthing..but none says i will do ..
    what a irony..
    i m not criticizing anyone...but saying ..lets all do whatver we all can.. at our levels..
  • Anonymous
    04 Feb 08
    i am completely agree with u.r u doning any thing for your country?
  • Prakaram
    09 May 08
    This people is full with people like you who does nothing but agreeing upon other people and asking dump question like what the third person did!!!......i feel pity on people like u.
    If i were Anand I would not answer this silly question.