Vashuda Ka Neta Kaun Hua? (An excerpt from Rashmirathi)

वसुधा का नेता कौन हुआ? (रश्मिरथी)
- रामधारी सिंह दिनकर (Ramdhari Singh Dinkar)

सच है, विपत्ति जब आती है,
कायर को ही दहलाती है,
शूरमा नहीं विचलित होते,
क्षण एक नहीं धीरज खोते,
विघ्नों को गले लगाते हैं,
काँटों में राह बनाते हैं।

मुख से न कभी उफ कहते हैं,
संकट का चरण न गहते हैं,
जो आ पड़ता सब सहते हैं,
उद्योग-निरत नित रहते हैं,
शूलों का मूल नसाने को,
बढ़ खुद विपत्ति पर छाने को।

है कौन विघ्न ऐसा जग में,
टिक सके वीर नर के मग में
खम ठोंक ठेलता है जब नर,
पर्वत के जाते पाँव उखड़।
मानव जब जोर लगाता है,
पत्थर पानी बन जाता है।

गुण बड़े एक से एक प्रखर,
हैं छिपे मानवों के भीतर,
मेंहदी में जैसे लाली हो,
वर्तिका-बीच उजियाली हो।
बत्ती जो नहीं जलाता है
रोशनी नहीं वह पाता है।

पीसा जाता जब इक्षु-दण्ड,
झरती रस की धारा अखण्ड,
मेंहदी जब सहती है प्रहार,
बनती ललनाओं का सिंगार।
जब फूल पिरोये जाते हैं,
हम उनको गले लगाते हैं।

वसुधा का नेता कौन हुआ?
भूखण्ड-विजेता कौन हुआ?
अतुलित यश क्रेता कौन हुआ?
नव-धर्म प्रणेता कौन हुआ?
जिसने न कभी आराम किया,
विघ्नों में रहकर नाम किया।

जब विघ्न सामने आते हैं,
सोते से हमें जगाते हैं,
मन को मरोड़ते हैं पल-पल,
तन को झँझोरते हैं पल-पल।
सत्पथ की ओर लगाकर ही,
जाते हैं हमें जगाकर ही।

वाटिका और वन एक नहीं,
आराम और रण एक नहीं।
वर्षा, अंधड़, आतप अखंड,
पौरुष के हैं साधन प्रचण्ड।
वन में प्रसून तो खिलते हैं,
बागों में शाल न मिलते हैं।

कङ्करियाँ जिनकी सेज सुघर,
छाया देता केवल अम्बर,
विपदाएँ दूध पिलाती हैं,
लोरी आँधियाँ सुनाती हैं।
जो लाक्षा-गृह में जलते हैं,
वे ही शूरमा निकलते हैं।

बढ़कर विपत्तियों पर छा जा,
मेरे किशोर! मेरे ताजा!
जीवन का रस छन जाने दे,
तन को पत्थर बन जाने दे।
तू स्वयं तेज भयकारी है,
क्या कर सकती चिनगारी है?

Category: hindi-poems

Comments

  • Ankit Shrivastava
    02 Oct 12
    veer ras ki shaktiyon se paripurn hai ye adbhut rachna.......dhanya hai aise adhbut kavi.
  • arun n kavta
    14 Jul 12
    these are best lines
  • rashmi
    03 Jul 12
    achhaa hai par bahut badaa hai.............. yaad karna bahut mushkil hai.... hindi recitation compitition hai..............
  • Shubham Mishra,happy
    30 Jun 12
    Maine pira summer vacation is poem ko padhne me laga diya itna bada daan maine ker diya jao ki karn se kahi bahut adhik h.
  • Niraj Kumar
    24 Apr 12
    This is not a poem only, its the sound of my soul....really dinkar jee i love you. Now i am wordless.
  • Anonymous
    13 Nov 11
    i like Sh Raamdhari ji's veer rus kavitas a lot...
    thanks ADMIN.

    himanshu
  • Anonymous
    11 Nov 11
    very inspirational
  • samrat
    14 Jul 11
    BAHUT LAMBA HAI PAR .
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    ACHA HAI MAKE IT SHORT YAAR
  • Vikas
    30 Sep 11
    Hi... This version is actually shorter version. It is much longer and very beautiful composition glorifying karan in mahabharat.

    @sitemaster: Thanks for posting. Can you post the full poem